
- मप्र संस्कृति संचालनालय की समिति ने लगाई मुहर
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। अब मप्र के बुजुर्ग कलाकारों और साहित्यकारों को सम्मानजनक पेंशन मिलेगी। जानकारी के अनुसार अब प्रदेश के बुजुर्ग कलाकारों-साहित्यकारों को 5,000 रूपए की पेंशन मिलेगी। इस पर गत दिनों मप्र संस्कृति संचालनालय की समिति ने मुहर लगा दी है।
नियमानुसार संस्कृति विभाग में हर तीन माह में समिति की बैठक होनी चाहिए, लेकिन 2019 के बाद से नहीं हुई थी। गत दिनों हुई बैठक में समिति ने अनुशंसा की, अन्य राज्यों की तरह मध्यप्रदेश में भी पेंशन राशि को 1500 रुपए के बजाय ने सम्मानजनक 5000 रुपए किया तो जाए। मालूम हो कि कुछ राज्यों में ये राशि 8 हजार से लेकर 10 हजार रुपए तक है। गौरतलब है कि देश के कई राज्यों में बुजुर्ग कलाकारों-साहित्यकारों को सम्मानजनक पेंशन मिल रही है। ऐसे में मप्र में भी पेंशन बढ़ाने की मांग उठती रहती है। कलावंत-साहित्यकर्मियों को मासिक 1500 रुपए पेंशन दी जाती है, लेकिन जिला प्रशासन से लेकर संस्कृति संचालनालय तक भटकना पड़ रहा है। कलाकारों का आरोप है कि समारोह और आयोजनों में प्रस्तुति का अवसर नहीं मिलता।
अभी 36 हजार रुपए वार्षिक आय का दायरा
समिति ने 60 वर्ष से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग कलाकारों के लिए वार्षिक आय का दायरा बढ़ाने और आश्रित की संख्या को लेकर भी मंथन किया। तय किया गया कि जो वास्तव में विपन्न है, उन्हें पेंशन अनिवार्य रूप से मिले। अधिक से अधिक आश्रित परिजन शामिल हो पाएं, इसका सिस्टम बनाया जाए। अभी 36 हजार रुपए वार्षिक आय का दायरा है। इसमें स्वयं कलाकार- साहित्यकार के अलावा दो परिजन शामिल हैं। कलावंत-साहित्यकार और उनके एक परिजन के लिए सालाना 24000 की आय का दायरा हैं। अकेले ही हैं तो 18000 वार्षिक आय का दायरा तय है। बैठक में अब कलावंत-साहित्यकारों के दिव्यांग परिजन को भी शामिल करने की अनुशंसा की गई है। सूत्रों के अनुसार पूर्व की सूची में 300 से ज्यादा लोगों को वर्षों से पेंशन दी जा रही है उनमें ज्यादातर कलावंत-साहित्य मनीषी नहीं हैं। समिति ने सूची सत्यापित करने की अनुशंसा की है। वास्तव में कलाकार- साहित्यकार का सत्यापन कलेक्टर तहसीलदार को और तहसीलदार पटवारी को सौंपते हैं। पटवारी बिना किसी के घर जाए, संबंधित से बात कर तय कर लेते हैं कि वह व्यक्ति पात्र है। या नहीं। इसमें गड़बड़ी की आशंका होती है। समिति सदस्यों ने इस प्रक्रिया में जिलाधीश को अनिवार्यत: हर जिले में पात्रता सुनिश्चित करने वाली समिति में एक कलाकार, एक साहित्यकार को रखने का आग्रह किया है।