बारबेड वायर खरीदी मामला: विभाग के मंत्री पर भारी पड़े अफसर

वन विभाग में जारी है अफसरों की मनमर्जियां…

 वन विभाग

भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश का वन विभाग जंगल राज की तरह से ही चल रहा है। इस विभाग में अफसर नियमों कायदों को ताक पर रखकर अपने हिसाब से काम करने के तो पहले से ही आदी हो चुके है। हद तो यह है कि वे अब तो मंत्री के आदेश व निर्देशों को भी नहीं मानते हैं। यह ऐसा विभाग वन चुका है जिसके अफसर लगातार अपने ही विभाग के मंत्री के निर्देशों व आदेशों को तक नहीं मानते हैं। ताजा मामला बारबेड वायर खरीदी का है।
विभाग द्वारा हर साल करीब  75 करोड़ रुपए के बारबेड वायर की खरीदी की जाती है।  इसकी खरीदी अनुसंधान एवं विस्तार, कैंपा और विकास मद से की जाती है।  इस खरीदी में भ्रष्टाचार को लेकर आरोप प्रत्यारोप लगते रहते हैं।  यही वजह है कि इस मामले में वन मंत्री विजय शाह ने ग्लोबल टेंडर बुलाने की पहल की थी, लेकिन अपने फायदे के लिए विभाग के मैदानी अफसर इसके विरोध में खड़े हो गए, लिहाजा मंत्री के निर्देशों पर अमल ही नहीं हो सका है। अब मंत्री के गृह जिले खंडवा में बारबेड वायर खरीदी में गड़बड़ी की शिकायतें चर्चा का विषय बन गई हैं। बताया जा रहा है कि खंडवा वन मंडल में 38 फीसदी से अधिक दर पर बारबेड वायर की खरीदी कर डाली गई है।  खंडवा वन मंडल में 97.94 रुपए किलोग्राम की दर से बारबेड वायर प्रदाय करने वाली फर्म से खरीदी करने की जगह उसे दूसरी जगह से अधिक दर पर खरीदी कर डाली गई।  इस खरीदी के लिए वन मंडल द्वारा ओपन टेंडर के माध्यम से आॅफर बुलाए गए थे। जिसमें शर्त थी कि आईएसआई मार्क की बारबेड वायर ही होना चाहिए। खंडवा की ही फर्म क्वालिटी इंटरप्राइजेज खंडवा ने शर्त के मुताबिक ही आईएसआई मार्क की बारबेड वायर 97.94 रुपए किलो की दर से सप्लाई करने की निविदा डाली, लेकिन जिम्मेदारों ने अपने एक चहेते सप्लायर को उपकृत करने के लिए कम दर वाले से खरीदी करने की जगह 104 रुपए प्रति किलो बारबेड वायर की दर से खंडवा की ही दूसरी फर्म से खरीदने का ऑर्डर दे दिया। इसकी वजह से विभाग को 31 प्रतिशत अधिक राशि का भुगतान किया जाना है। हालांकि इस संबंध में जिम्मेदारों का कहना है कि पूर्व में किए गए टेंडर को निरस्त कर दिया गया, जिसकी वजह थी शासन द्वारा इसके लिए नया पैमाना तय किया जाना। दूसरी बार जेम से टेंडर किया उसकी उसका दर 104 रुपए आया है। इससे तो यह भी स्पष्ट हो गया है कि फॉरेस्ट आॅफिसर जेम के जरिए अधिक कीमत पर बारबेड वायर की खरीदी कर रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि पूरे प्रदेश में बारबेड वायर और चेनलिंक की खरीदी में बड़े पैमाने पर घालमेल किया जा रहा है। इसी तरह के आरोप अन्य वनमंडलों में भी लग रहे हैं।
इस तरह का जारी है खेल
वर्क आर्डर लेने के बाद भी बारबेड वायर निर्धारित समय पर सप्लाई नहीं करने पर कटनी डीएफओ गौरव शर्मा द्वारा मैसर्स नवकार ग्रेनाइट मंदसौर फर्म को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया। इस वन मंडल से मंदसौर की मेसर्स नवकार ग्रेनाइट को वित्तीय वर्ष 22,-23 में वृक्षारोपण क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए 275.78 किलोग्राम बारबेड वायर सप्लाई का आदेश दिया गया था।  इस फर्म द्वारा अब तक महज 208.32 किलोग्राम की ही सप्लाई की गई।  नोटिस देने के बाद भी जब शेष सप्लाई नही की गई तो कटनी डीएफओ द्वारा कई बार नोटिस भी दिए गए , लेकिन स्पलायर ने सप्लाई करना तो दूर जबाब तक देना उचित नहीं समझाा।  इसके बाद उसे ब्लैक लिस्ट कर दिया गया , तो उसके संचालक कपिल नाहटा ने सीसीएफ जबलपुर के समक्ष अपील कर दी , जिसमें कहा गया है कि परिवहन सुविधा नहीं मिलने की वजह से वे सप्लाई नहीं कर सके हैं। इसी तरह से उत्तर सिवनी वन मंडल में पारस ट्रेडर्स शारदा सदन सीहोर को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया है। इसकी वजह है पारस ट्रेडर्स द्वारा डेढ़ साल पहले मिले आदेश पर अब तक भी बारबेड वायर की सप्लाई नहीं करना। हद तो यह है कि यहां पर भी सप्लायर द्वारा नोटिसों का अब तक कोई उत्तर तक नहीं दिया गया है।
ब्लैक लिस्ट फर्मों से जारी है सप्लाई
वन विभाग में अलग-अलग  वन मंडलों में कई फर्मों को ब्लैक लिस्ट किया जा चुका है, लेकिन फिर भी ब्लैक लिस्ट फर्म अपने रसूख के दम पर दूसरे वन मंडलों में सप्लाई का काम कर रही हैं। इसकी वजह है विभाग में ऐसी कोई भी व्यवस्था तक नहीं है, जहां ब्लैक लिस्ट की गई फर्मों के मामले की जानकारी रहती हो। इसके इतर पीडब्ल्यूडी जल संसाधन और अन्य विभागों में ऐसी व्यवस्था है कि ब्लैक लिस्ट फर्म की सूची बनाकर मैदानी अफसरों को भेजा जाता है और उन्हें निर्देशित किया जाता है कि इनसे कोई भी वर्क आर्डर न दिया जाए।

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