इस बार फिर टूट सकता है मप्र में गेहूं उत्पादन का रिकॉर्ड

गेहूं उत्पादन

अच्छी बारिश की वजह से रकबे में हुई हजारों हेक्टेयर की वृद्धि

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र ऐसा राज्य बन चुका है, जहां पर बीते कई सालों से लगातार गेहूं उत्पादन में वृद्धि हो रही है। इस साल भी प्रदेश में बीते साल की तुलना में अधिक उत्पादन होने की वजह से नया रिकार्ड बनने की संभावना अभी से नजर आने लगी है। इसकी वजह है प्रदेश में गेहूं के रकबे में दो हजार हेक्टेयर की वृद्धि होना। दरअसल इसकी वजह है प्रदेश में इस बार बीते सालों की तुलना में बेहद अच्छी बारिस होना।  इसकी वजह से इस साल गेहूं सहित रबी की अन्य फसलों के लिए सिंचाई के लिए कम पानी की जरूरत रह गई है। यही नहीं इस बार प्रदेश के सभी जलाशयों से लेकर नदी नाले तक अभी लबालब भरे हुए हैं। इसकी वजह से किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी भी उपलब्ध है। अगर भोपाल की ही बात की जाए तो इस बार जिले के 75 हजार किसानों में से 64 हजार किसानों द्वारा गेहूं की फसल को बोया जा रहा है। भोपाल जिले में कृषि योग्य 1 लाख 50 हजार हेक्टेयर रकबा है। इसमें से 1.43 लाख हेक्टेयर में गेहूं की खेती की जा रही है। पिछले वर्ष यह रकबा 1.41 लाख हेक्टेयर ही था। 11 नवम्बर तक म.प्र. में 54.65 लाख हेक्टेयर में बुवाई हुई है जबकि गत वर्ष इस अवधि में 57.22 लाख हेक्टेयर में बोनी कर ली गई थी।
कृषि विभाग के मुताबिक प्रदेश में रबी फसलों का सामान्य क्षेत्र 124 लाख 77 हजार हेक्टेयर है। इस वर्ष 139.06 लाख हेक्टेयर में रबी फसलें ली जाएंगी। कृषि विभाग के मुताबिक अब तक 54.65 लाख हेक्टेयर में बोनी कर ली गई है। इसमें राज्य की प्रमुख रबी फसल गेहूं की बोनी 27.14 लाख हेक्टेयर में हुई है। जबकि गत वर्ष अब तक 26.92 लाख हे. में गेहूं बोया गया था। दूसरी प्रमुख फसल चने की बोनी अब तक 11.77 लाख हेक्टेयर में हो गई है जो गत वर्ष समान अवधि में 15.04 लाख हे. में हुई थी। अन्य फसलों में अब तक मटर 1.26 लाख हे. में, मसूर 3.54 लाख हे. में बोई गई है।  इस बार सभी डैम, तालाब, नदी, नाले लबालब है। भरपूर पानी है। गेहूं की सिंचित  वैरायटी खेतों में बोयी जा सकती है। इसके चलते किसान भी सिंचित फसल वाले बीजों की किस्मों को चुन रहे हैं। इससे उनकी आय में भी वृद्धि होना तय माना जा रहा है।  कृषि विभाग के अफसरों की मानें तो तेजस, 1540 व अन्य कुछ ऐसी गेहूं के बीजों की वैरायटी हैं जो एक हेक्टेयर में काफी अच्छी फसल देती हैं। भोपाल जिले में इस वर्ष गेहूं की प्रति हेक्टेयर उत्पादकता करीब साढ़े चार क्विंटल प्रस्तावित है। गत वर्ष चार क्विटल प्रति हेक्टेयर हुआ था। चने का प्रति हेक्टेयर 2.5 क्विंटल प्रस्तावित किया गया है। जबकि गत वर्ष 1 क्विंटल 967 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर उत्पादन हुआ।
पहले स्थान पर हैं मप्र
गेंहू उत्पादन के मामले में मध्यप्रदेश पहले स्थान पर है। प्रदेश को पांच बार कृषि कर्मण पुरस्कार मिला है। प्रदेश में गेहूं की उत्पादकता 2850 किलोग्राम से बढ़कर 3115 किलोग्राम हो गई है। मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा गेहूं की फसल होती है। गेहूं मध्य प्रदेश की प्रथम महत्वपूर्ण फसल है। रबी की फसलों का सबसे अधिक क्षेत्र गेहूं के अन्तर्गत है। प्रदेश के 35.49 लाख हेक्टेयर भूमि पर गेहूं की खेती की जाती है। गेहूं की कृषि अधिकांशत: मध्य प्रदेश से उसी क्षेत्र में होती है, जहां वर्षा का औसत 75 में 125 सेंमी. होता है। जहां वर्षा कम होती है, वहां सिंचाई के माध्यम से भी गेहूं की खेती की जाती है।
इन जिलों में होता है उत्पादन
गेहूं उत्पादन में मध्यप्रदेश का पहला स्थान है। प्रदेश के 35.49 लाख हेक्टेयर भूमि पर गेहूं की खेती की जाती है। मध्य प्रदेश में गेहूं अक्टूबर-नवम्बर में बोया जाता है तथा मार्च-अप्रैल में तैयार हो जाने पर फसल काट ली जाती है। गेहूं की खेती मध्य प्रदेश के पश्चिमी भाग में होती है। प्रदेश के मैदानी क्षेत्रों में ताप्ती और नर्मदा, तवा, गंजाल, हिरण आदि नदियों की घाटियों और मालवा के पठार की काली मिट्टी के क्षेत्रों में सिंचाई के द्वारा गेहूं पैदा किया जाता है। प्रदेश के होशंगाबाद, सीहोर, विदिशा, जबलपुर, गुना, सागर, ग्वालियर, निमाड़, उज्जैन, इंदौर, रतलाम, देवास, मंदसौर, झाबुआ, रीवा और सतना जिलों में गेहूं का उत्पादन मुख्य रूप से होता है।
देश में भी गेहूं की होगी रिकॉर्ड पैदावार संभावित
भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान की टीम ने विभिन्न राज्यों में फसल का जायजा लिया। 112 मिलियन टन गेहूं उत्पादन की उम्मीद जताई जा रही है। पिछले साल 109.52 मिलियन टन पैदावार हुई थी। इस वर्ष देश में गेहूं उत्पादन में नया कीर्तिमान स्थापित होने की उम्मीद जताई जा रही है। जनवरी में ठंड की अनुकूलता बनने से फसल की बढ़वार अच्छी है। भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल ने इस बार करीब 112 मिलियन टन गेहूं उत्पादन की उम्मीद जताई है। संस्थान के वैज्ञानिकों की टीम ने इस महीने गेहूं की फसल के स्वास्थ्य को लेकर प्रथम सर्वे के बाद यह संभावना जताई है। वहीं दूसरे सर्वेक्षण की तैयारी चल रही है। प्रमुख अन्वेषक फसल सुरक्षा प्रभाव एवं प्रधान वैज्ञानिक डॉ. सुधीर कुमार, प्रधान वैज्ञानिक डॉ. पूनम जसरोटिया, वैज्ञानिक पीएल कश्यप और डॉ. रविंद्र कुमार ने दिसंबर के अंतिम सप्ताह से गेहूं की फसलों का सर्वे शुरू किया था। फरवरी के दूसरे सप्ताह में प्रथम सर्वे पूरा किया गया।

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