
– विधानसभा में सरकार ने दी जानकारी
– केंद्र से नहीं मिली 4352 करोड़ 33 लाख, जीएसटी के भी केंद्र में अटके 4,152 करोड़ रुपए
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में विकास कार्यों के लिए सरकार लगातार कर्ज ले रही है। इस कारण प्रदेश सरकार पर इस समय 2 लाख 95 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है। प्रदेश सरकार ने पिछले दो सालों में एक लाख 20 हजार 80 करोड़ का कर्ज बाजार और अन्य संस्थाओं से लिया है। इन दो सालों में सरकार ने कुल कर्ज का मूलधन पटाने पर 2021-22 में 14,828 करोड़ तथा ब्याज देने 20,040 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। दूसरी तरफ केंद्र सरकार से क्षतिपूर्ति के 4352 करोड़ 33 लाख रुपए नहीं मिले हैं। हालांकि राज्य सरकार ने पिछले एक साल से केंद्र सरकार को इसके लिए कोई पत्र भी नहीं लिखा है।
यह जानकारी वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने विधानसभा में विधायक बाला बच्चन और कुणाल चौधरी के सवाल के लिखित जवाब में दी। देवड़ा ने बताया कि अभी वित्तीय वर्ष 2022-23 समाप्त नहीं हुआ है, फिर भी लिए गए कर्ज पर मूलधन के रूप में 24,114 करोड़ और ब्याज पर 22,166 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने बताया कि केंद्र सरकार से जीएसटी प्रतिपूर्ति के रूप में मप्र को अभी 4, 152 करोड़ रुपए की राशि लेना शेष है।
प्रदेश का हर नागरिक होगा 47 हजार का कर्जदार
उधर, आर्थिक तंगी से जूझ रही शिवराज सरकार एक बार फिर से खुले बाजार से कर्ज लेने जा रही है। इस बार सूबे की हुक्मरान बाजार से 2 हजार करोड़ का कर्जा लेने का फैसला लिया है। कर्ज की अवधि 10 साल की रहेगी। सूत्रों के मुताबिक शिवराज सरकार बाजार से करीब 7 फीसदी की ब्याज दर से यह लोन उठाने की तैयारी में है। प्रदेश पर अभी 2 लाख 95 हजार करोड़ का कर्जा है। इसके बावजूद सरकार फिर से 2 हजार करोड़ का लोन लेने जा रही है। मध्यप्रदेश पर बढ़ता आर्थिक कर्जा विपक्ष के लिए हमेशा से एक सियासी हथियार रहा है। सत्ताधारी दल इसे विकास योजनाओ के क्रियान्वयन का हवाला दे जरूरी ठहरा रहा है वहीं विपक्ष कर्ज के नाम पर बाकी देनदारी को लेकर सरकार को घेरने को कोई मौका चूकना नहीं चाहेगा।
साल दर साल बढ़ रहा कर्ज: मध्य प्रदेश सरकार पर वित्तवर्ष 2017-18 में मध्यप्रदेश पर 1 लाख 54 हजार करोड़ का था कर्जा था। जो प्रदेश में प्रतिव्यक्ति 21 हजार रुपए था, लेकिन यह कर्जा कम होने के बजाए और बढ़ता गया। वित्त वर्ष 2018-19 में मध्यप्रदेश पर कर्जा बढ़कर 1 लाख 94 हजार करोड़ हो गया। प्रदेश में प्रति व्यक्ति 25 हजार के कर्जे में था। 2019-20 में प्रदेश पर कर्जा 2 लाख 31 हजार करोड़ और प्रतिव्यक्ति कर्ज की दर 29 हजार रुपए हो गई। 2020-21 में मध्यप्रदेश सरकार पर कर्जा 2 लाख 89 करोड़ का कर्जा था जो 2021-22 में बढ़कर 3 लाख 32 हजार करोड़ हो गया। इसी साल मध्यप्रदेश के प्रत्येक नागरिक 41 रुपए का कर्जदार रहा। वित्त बर्ष 2022 -23 में अनुमानित कर्जा 3 लाख 83 हजार करोड़ हो सकता है। जिसमें प्रदेश का प्रत्येक नागरिक 47 हजार रुपए का कर्जदार होगा। वित्तीय वर्ष 2019-20 में एमपी सरकार ने 14 हजार करोड़ की राशि सिर्फ ब्याज भरने में चुकाई है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में 16 हजार करोड़ रुपए की राशि केवल ब्याज में दी गई। साल 2021-22 में ब्याज की यह राशि बढ़कर 20 हजार करोड़ हो गई। माना जा रहा है कि साल 2022-23 में अनुमनित ब्याज की राशि 22 हजार करोड़ रुपए की हो सकती है।
अब लोन लिया तो कितना ब्याज चुकाना होगा
प्रदेश सरकार एक बार फिर खुले बाजार 7 फीसदी की ब्याज दर से 2 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लेने जा रही है। विकास योजनाओं के क्रियान्वयन के नाम पर यह कर्ज लिया जा रहा है, लेकिन सरकार इससे पहले भी कई बार कर्ज ले चुकी है। जिसके एवज में एक बड़ी राशि ब्याज चुकाने में ही खर्च हो रही है। प्रदेश सरकार अबतक जो कर्ज ले चुकी है उसका ब्याज जनता से वसूले गए टैक्स के पैसों से चुकाया गया है। 2019-20 वित्तीय वर्ष में एमपी सरकार ने ब्याज में सिर्फ 14 हजार करोड़ की राशि चुकाई है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में 16 हजार करोड़ रुपए की राशि केवल ब्याज में दी गई। साल 2021-22 में ब्याज चुकाने की राशि बढ़ाकर 20 हजार करोड़ दी गई। 2022-23 में अनुमानित ब्याज की राशि 22 हजार करोड़ रुपए की हो सकती है।
गोविंदपुरा में 29 उद्योग बंद
मंत्री एमसएमई मंत्री ओपी सखलेचा ने आरिफ अकील के सवाल के जवाब में बताया कि गोविंदपुरा औद्योगिक क्षेत्र में 1197 इकाई स्थापित हैं, उनमें से 1168 कार्यरत हैं। विभिन्न कारणों से 29 उद्योग इकाइयां बंद हैं।