संसद में मप्र के सांसदों की परफॉर्मेंस संतोषजनक नहीं

युवा सांसदों की अपेक्षा उम्रदराज सांसदों की परफॉर्मेंस बेहतर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी


भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने सांसदों को लगातार हिदायत देते रहते हैं कि वे संसद में अपनी सक्रियता बनाए रखें। लेकिन उसके बावजूद संसद में मप्र के सांसदों की परफॉर्मेंस संतोषजनक नहीं है। हैरानी की बात तो यह है कि प्रदेश के युवा सांसदों की परफॉर्मेंस उम्रदराज सांसदों की अपेक्षा कमजोर है। कांग्रेस के एकमात्र सांसद नकुल नाथ की परफॉर्मेंस सबसे खराब है। वहीं भाजपा के भी जितने युवा सांसद हैं, उनकी न तो संसद में उपस्थिति संतोषजनक रही और न ही उन्होंने अधिक सवाल पूछे। अगर ओवरऑल देखा जाए तो संसद में मप्र के आधे से अधिक सांसदों की परफॉर्मेंस संतोषजनक नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हिदायत के बाद भी संसद में मप्र के सांसदों की परफॉर्मेंस देश के अन्य राज्यों के सांसदों से कमतर है।
मप्र देश का इकलौता राज्य है, जहां भाजपा के सांसदों की संख्या औसतन सबसे अधिक है। यहां 29 लोकसभा सांसदों में से 28 भाजपा के हैं। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में अब तक लोकसभा के 9 सत्र हुए हैं। इन सत्रों में मुद्दे उठाने, सवाल पूछने और प्राइवेट बिल लाने में मप्र के आधे से अधिक सांसद फिसड्डी साबित हुए हैं। सत्रहवीं लोकसभा में हमारे प्रदेश के 29 सांसद सवाल पूछने में देश के औसत से पीछे रहे। देश का प्रति लोकसभा सदस्य का सवाल पूछने का औसत 116 प्रश्न का है, लेकिन हमारे सांसदों ने औसत 82 सवाल ही पूछे हैं।
बिसेन और शेजवलकर की सबसे अधिक उपस्थिति
मप्र के सांसदों की परफॉर्मेंस का आंकलन करें तो लोकसभा में मध्यप्रदेश के सांसदों की हाजिरी और सवाल पूछने का ट्रेंड चौंकाने वाला है। मात्र 34 साल की सबसे कम उम्र की शहडोल सांसद हिमाद्री सिंह जहां सवाल पूछने में सबसे पीछे हैं। वहीं, 70 साल के बालाघाट से सांसद ढाल सिंह बिसेन की सदन में उपस्थिति 99 प्रतिशत है। 75 साल के सबसे उम्रदराज सांसद विवेक शेजवलकर ने 96 प्रतिशत उपस्थिति दर्ज कराई है। अच्छी बात ये है कि इस 17वीं लोकसभा के तीन साल में मप्र का ऐसा कोई सांसद नहीं है, जिसने सवाल नहीं पूछा हो। बता दें कि 29 लोकसभा सीटों में से 28 पर भाजपा और एक पर कांग्रेस के छिंदवाड़ा से सांसद नकुलनाथ हैं। सवाल पूछने में नाथ भी पीछे हैं।
मप्र के किसी सांसद की 100 फीसदी उपस्थिति नहीं
संसद में औसत उपस्थिति में देश के औसत 79 है। वहीं मध्यप्रदेश का औसत 85.8 पर हमारा कोई भी सांसद 100 फीसदी उपस्थिति वाला नहीं है। सबसे ज्यादा उपस्थिति वाला राज्य हिमाचल है यहां के सांसदों की औसत उपस्थिति 94.5 फीसदी है। राजनीतिक विश्लेषक भानु चौबे का कहना है कि अगर सांसद न सदन की कार्यवाही में भाग ले रहे हैं, न जनता से जुड़े हुए सवाल पूछ रहे हैं तो उन्हें जनता के धन पर सुख-सुविधा भोगने का कतई अधिकार नहीं है। अगर ये ऐसे सांसद अपने इलाके में भी सक्रिय नहीं हैं तो आम मतदाता सब समझता है।
मप्र का औसत 82 सवाल
संसद सत्र में सवाल पूछने में मप्र के सांसदों की परफॉर्मेंस साल दर साल चिंताजनक है। सवाल पूछने का अंडमान निकोबार का औसत 414 है। वहीं महाराष्ट्र का 223, त्रिपुरा का 200, लक्षदीप को 177, केरल का 166, आंध्रप्रदेश का 164,तमिलनाडु का 159, राजस्थान का 145, तेलांगना का 130, गुजरात का 119, दिल्ली का 112, छत्तीसगढ़ का 90, हरियाणा का 85, मध्यप्रदेश का 82 सवाल का है।
अनिल फिरोजिया का कोई जवाब नहीं
मप्र के सांसदों में से उज्जैन से पहली बार के सांसद अनिल फिरोजिया की परफॉर्मेंस सबसे अच्छी रही। उन्होंने 196 सवाल पूछे और 23 बार बहस में शामिल हुए। सतना सांसद गणेश सिंह ने 134 सवाल पूछे और सदन की कार्यवाही में 75 बार बहस में शामिल हुए। सवाल पूछने में सबसे आगे मंदसौर के सांसद सुधीर गुप्ता हैं। उन्होंने 466 सवाल पूछे हैं। वे बहस में 5 बार ही बोले हैं। महिला सांसदों में सीधी सांसद रीति पाठक सबसे आगे हैं, जिन्होंने 211 सवाल पूछे हैं। सांसदों में ज्यादा उम्र वाले विवेक शेजवलकर ने 93 सवाल किए हैं, जबकि ढाल सिंह बिसेन ने 108 बार सवाल किए। छिंदवाड़ा के सांसद नकुलनाथ ने विपक्ष में होकर भी खामोशी रखी है। उन्होंने आठ सवाल पूछे हैं, जबकि बहस में एक ही बार शामिल हुए हैं। सबसे कम उम्र की हिमाद्री सिंह  की सदन में 79 प्रतिशत मौजूदगी रही है। उन्होंने 7 सवाल पूछे हैं, जबकि 3 बार बहस में भाग लिया है। देवास के युवा सांसद महेंद्र सिंह सोलंकी ने 70 सवाल उठाए हैं। 34 बार बहस में शामिल हुए हैं। भोपाल सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर  ने 34 सवाल पूछे हैं। इंदौर सांसद शंकर लालवानी ने 129 और गुना सांसद केपी यादव ने 200 सवाल पूछे हैं। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने 135 बार सदन में सवाल उठाए हैं। 16 बार बहस में शामिल हुए हैं। प्रदेश के हित में उन्होंने केन-बेतवा लिंक परियोजना की मंजूरी का सवाल उठाया था। सांसदों ने चंबल प्रोग्रेस-वे, अटल भूजल योजना, बुंदेलखंड पैकेज, खेती-किसानी और मुआवजे, नेशनल हाईवे, टूरिज्म प्रोजेक्ट, पावर प्रोजेक्ट और इंडस्ट्री के सवाल पूछे हैं।

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