विभीषणों पर गिरेगी गाज

विभीषणों
  • नुकसान की वजह बने नेताओं पर भाजपा संगठन सख्त

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। सात नगर निगमों में महापौर पद के प्रत्याशियों की हार से खफा प्रदेश संगठन अब बागी और विभीषणों पर सख्त कार्रवाई करने के मूड में हैं। इसके संकेत बीते रोज हुई बैठक में दे दिए गए हैं। दरअसल भाजपा प्रदेश संगठन ने बीते रोज कमजोर बूथ को मजबूत करने और हार के कारणों को जानने के लिए भाजपा के सांसद, विधायक और प्रदेश पदाधिकारियों की बैठक बुलाई थी , जिसमें सीएम ने तीखे तेवर दिखाते हुए साफ कहा कि हार के लिए जो जिम्मेवार हैं, उन्हें किसी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। पार्टी उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही करेगी।  मुख्यमंत्री ने दो टूक कहा कि अगर टिकट नहीं मिले तो ये सही नहीं है कि पार्टी के खिलाफ काम करने लग जाओ। वहीं प्रदेश अध्यक्ष बी डी शर्मा ने भी पार्टी का मन से काम न करने वालों पर गाज गिरने के स्पष्ट संकेत दिए हैं। शर्मा ने कहा कि जिन क्षेत्रों में हार हुई है, वहां सीनियर नेता जाएंगे। ये रिपोर्ट 24 अगस्त तक बुलाई गई है। बैठक में जिला अध्यक्ष, जिला प्रभारी, सांसद, विधायक तथा बूथ विस्तारक अभियान प्रभारी मौजूद थे।
संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा ने कहा कि रीवा और जबलपुर में निकाय चुनाव में हार के बाद मोर्चा की जिम्मेदारी तय की गई है। नगरीय निकाय चुनावों में बड़े शहरों में भाजपा को उस तरह की सफलता नहीं मिली, जैसी अपेक्षा की जा रही थी। वहीं कई नगरपालिकाओं में उसे जोड़ तोड़ कर अध्यक्ष बनाना पड़े हैं। बैठक में सीएम ने कहा कि जहां हारे वहां कमियां ढूढ़ कर उन्हें दूर करना होगा। उन्होंने कहा कि हार के लिए जो लोग चिन्हित हुए हैं और जिन्होंने चुनाव में ठीक से काम नहीं किया, गड़बड़ी की है, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। उनके खिलाफ पार्टी एक्शन लेगी बैठक में बताया गया कि भाजपा के प्रदेश पदाधिकारियों, जिलाध्यक्ष, मोर्चा और प्रकोष्ठ के पदाधिकारियों का तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर 24 अगस्त से पचमढ़ी में आयोजित किया जाएगा। इसमें बूथ मजबूत करने पर पार्टी के विषय विशेषज्ञ इन नेताओं को मार्गदर्शन देंगे।
सभी को करना होगा संगठन का काम : शिवप्रकाश पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री शिवप्रकाश ने सीनियर नेताओं की पार्टी द्वारा सौंपे गए काम में रूचि न लेने पर नाराजगी जताते हुए कहा कि कोई कितना भी बड़ा क्यों न हो, उसे हर हाल में संगठन का काम करना ही होगा। फिर वह भले ही कई चुनाव ही क्यों न जीता हो। नेता संगठन से बड़ा नहीं है।  उनका इशारा कुछ नेताओं द्वारा सौंपे गए बूथ पर न जाने और प्रवास न करने को लेकर था। उन्होंने कहा कि नेताओं का जिस क्षेत्र का प्रवास का जिम्मा दिया गया है वे वहां जाएं और वहां क्या किया इससे संगठन को भी अवगत कराएं।
आधे दिन की होगी प्रदेश कार्यसमिति की बैठक
इसी दौरान प्रदेश कार्यसमिति की 26 को पचमढ़ी में ही पहली बार महज आधे दिन की बैठक होगी। पांच घंटे चलने वाली इस बैठक में क्षेत्रीय संगठन महामंत्री जितेन्द्र जामवाल, राष्ट्रीय सहसंगठन महामंत्री शिवप्रकाश, प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव सीएम प्रदेश अध्यक्ष  भी  हिस्सा लेंगे। गौरतलब है कि इसके पहले तक प्रदेश कार्यसमिति दो दिन की होती रही है। इसके बाद एक दिन की और अब आधे दिन की की जा रही है।  प्रशिक्षण शिविर के दौरान भाजपा के सारे बड़े नेता यहां मौजूद रहेंगे लिहाजा यहीं कार्यसमिति करने का तय किया गया है।
तीन चरणों में चलेगा अभियान
बूथ सशक्तिकरण अभियान तीन चरणों में होगा। इसमें बूथों का चयन और कार्य विभाजन होगा। 21-25 अगस्त तक दूसरे चरण में राजनीतिक विश्लेषण होगा। तीसरे चरण में घर-घर जाकर लाभार्थियों और की वोटर्स से संपर्क करना होगा। इसी तरह से भाजपा की 3 दिवसीय पचमढ़ी बैठक में 24-25 अगस्त को प्रशिक्षण व 26 अगस्त को कार्यसमिति होगी। पार्टी के लांच सरल एप में वोटर्स के परिवार और जाति का डाटा एकत्र होगा।

  • प्रदेश के आधा दर्जन….मंत्री संगठन ने किए चिन्हित
    प्रदेश के आधा दर्जन से अधिक मंत्री ऐसे हैं जिनके राजनैतिक महत्व को अब कम किया जा सकता है। यह वे मंत्री है जिनके प्रभार वाले जिलों में पार्टी को नगरीय निकाय चुनावों में पार्टी को नुकसान हुआ है। इनमें वे प्रभारी मंत्री भी शामिल हैं जिनका प्रदेश सरकार में बेहद अच्छा रसूख माना जाता है। दरअसल हाल ही में हुए पंचायत और निकाय चुनावों की पूरी मैदानी रिपोर्ट जिलों से प्रदेश संगठन के पास आ चुकी है। इस रिपोर्ट के आधार पर हार-जीत का गुणा भाग लगाया जा रहा है।
    मैदानी स्तर से मिले फीडबैक व संगठन की रिपोर्ट का अब विश्लेषण किया जा रहा है। इसमें प्रारंभिक तौर पर पाया गया है की सात मंत्रियों के प्रभार वाले जिलों में पार्टी का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है। यह वे प्रभारी मंत्री है जिनके प्रभार वाले जिलों में या तो पार्टी को महापौर के चुनाव में हार मिली है या फिर नगर पालिका में। इनमें से अधिकांश जिले पार्टी के प्रभाव वाले माने जाते हैं। गौरतलब है की प्रदेश के 16 नगर निगमों में से भाजपा को इस बार 7 में हार का सामना करना पड़ा है , जबकि इसके पूर्व यह सभी नगर निगम भाजपा के पास थे।  यही नहीं कई नगर निगमों में तो भाजपा लगातार कई बार से जीत रही थी।  इनमें ग्वालियर जैसा शहर भी शामिल है। इस शहर में कांग्रेस की सरकार में भी भाजपा ही महापौर के पद पर जीत दर्ज करती रही है , लेकिन इस बार यहां पर भी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है। अब तक जो जिलों से रिपोर्ट आयी हैं और फीडबैक मिला है उसके आधार पर प्रदेश संगठन द्वारा एक अंतिम रिपोर्ट तैयार की जा रही है, जिसे क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल के सामने पेश कर उस पर चर्चा की जाएगी। इस दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा व मप्र के संगठन महामंत्री हितानंद भी रहेंगे। बताया जा रहा है कि जिन जिलों पार्टी का प्रदर्शन खराब रहा है उन जिलों के सबसे पहले प्रभारी मंत्री बदलकर कार्रवाई की शुरुआत की जा सकती है।
    इसके अलावा संगठन और हारे हुए प्रत्याशियों ने भी मंत्रियों के कामकाज को निराशाजनक बताते हुए कुछ सांसदों और विधायकों के साथ जिलाध्यक्षों की भूमिका पर भी मौखिक रुप से सवाल खड़े किए हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि पालिका अध्यक्ष, परिषद अध्यक्ष और नगर निगम में परिषद के निर्वाचन के साथ जिला पंचायत अध्यक्ष व जनपद अध्यक्ष के चुनाव के लिए भोपाल से भेजी गई टीम ने यह रिपोर्ट लौटने के बाद भाजपा में सत्ता और संगठन को दी है। मुख्यमंत्री के पास भी कुछ जगहों से लिखित में शिकायतें आई हैं। माना जा रहा है की जिन प्रभारी मंत्रियों के इलाकों में हार का सामना करना पड़ा है उन  मंत्रियों का सरकार में मंत्रिमंडल पुर्नगठन में कद कम किया जाएगा। इसी तरह से इन निकायों के विधायकों के कामकाज की भी समीक्षा कर उन्हें सुधार लाने की नसीहत दी जाएगी। दरअसल प्रदेश में नगर निगमों में मिली हार को पार्टी हाईकमान ने बेहद गंभीरता से लिया है।
    इन मंत्रियों के प्रभार वाले जिलों में रहा खराब प्रदर्शन
    खराब प्रदर्शन वाले मंत्रियों में उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव, खनिज मंत्री ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह, ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्र तोमर , राजस्व मंत्री गोविंद राजपूत, कृषि व किसान कल्याण मंत्री कमल पटेल, जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट और चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग के प्रभार वाले जिले शामिल हैं। खास बात यह है की इनमें से कुछ मंत्रियों के तो गृह जिले में भी भाजपा को नुकसान उठाना पड़ा है।  

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