श्योपुर नपा में… अफसरों ने गड़बड़ियों का किया बड़ा खेला

श्योपुर शहर

हर मामले में लगाई गई खजाने को चपत
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम

श्योपुर शहर के लोगों को राहत भले ही नहीं मिली हो, लेकिन यहां नगरपालिका के अफसरों व कर्मचारियों तक ने राहत के नाम पर जमकर पैसा कमाकर बढ़ी राहत पायी है। यह पूरा खेल तब किया गया है जब नगर पालिका की कमान प्रशासक के हाथों में बनी हुई थी। खास बात यह है की नगर पालिका में जमकर किए गए कमीशन के खेला के वीडियो तक सोशल मीडिया पर जमकर वायरल होने के बाद भी जिला प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इसकी वजह है यहां पर वह कहावत पूरी तरह से फिट बैठना, जिसमें कहा गया है की सैंया भये कोतवाल तो अब डर काहे का।
हद तो यह हो गई की किराए की ट्रैक्टर और ट्राली पर ही तेरह लाख रुपए फूंक दिए गए, जबकि इतनी राशि में दो ट्रैक्टर ट्राली नए खरीदे जा सकते थे। यही नहीं नगर पालिका ने एक साइन बोर्ड लगाया और उसके नाम पर दस का भुगतान का कारनामा कर डाला। इसी तरह से बाढ़ पीड़ितों के नाम पर की गई सामानों की खरीदी, और बाढ़ पीड़ितों को मुआवजा राशि देने के मामले में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े की जानकारी सामने आ रही है।
इन मामलों के सामने आने के बाद से अफसरों ने भी चुप्पी साध रखी है। दरअसल यह पूरा खेल तब किया गया है जब नगरपालिका की जवाबदारी प्रशासक के जिम्मे थी। यहां तक कि नगरपालिका ने स्वच्छता सर्वेक्षण के तहत श्योपुर को सुंदर बनाने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए पार्क में लगाए गए एक आई लव यू श्योपुर का साइन बोर्ड भी इससे अछूता नहीं रहा। इस बोर्ड का सेल्फी लेने के लिए जमकर प्रचार- प्रसार किया गया। बताते हैं कि इस एक साइन बोर्ड के बदले में प्रशासन ने 4 लाख 70 हजार रुपए का भुगतान कर डाला। जबकि इसकी कीमत महज 47 हजार रुपए बताई जा रही है।
हो चुका कमीशन का वीडियो वायरल
बीते साल 3 अगस्त 2021 को आई बाढ़ के बाद नपा ने सफाई के नाम पर जो ट्रैक्टर-ट्रॉली किराए से लगाए थे। उनका 13 लाख रुपए का भुगतान किया गया है। इसी से जुड़े एक पायरल वीडियो में कहा जा रहा है  की भुगतान पाने के लिए ट्रैक्टर-ट्रॉली मालिकों को 36 प्रतिशत कमीशन देना पड़ा, जिसमें 6 प्रतिशत कमीशन प्रशासक कार्यालय, 15 प्रतिशत कमीशन सीएमओ, 5 प्रतिशत लेखा, 5 प्रतिशत स्वास्थ्य शाखा, 5 प्रतिशत ओडिटर को दिया गया। ट्रैक्टर-ट्रॉली संचालकों ने आपसी बातचीत के बनाए गए यह वीडियो वायरल किए हैं। इनकी हकीकत क्या है, यह तो वही बता सकते हैं।
प्रभारी ने पिता को बाढ़ पीड़ित बताकर ले लिए एक लाख रुपए  
नगरपालिका में प्रशासक काल में बाढ़ के बाद राहत राशि के नाम पर बड़ी संख्या में लोगों ने अपनों को नवाजा है। अभी भी कई लोग ऐसे हैं, जो मुआवजा के लिए भटक रहे हैं। इनमें से कई नेता सीएम हेल्पलाइन तक में गुहार लगाई है। आरोप है कि नपा कर्मचारियों ने अपने रिश्तेदारों को फर्जी बाढ़ पीड़ित बनाकर लाभ कमाया है। इसकी बानगी नपा में लेखा शाखा प्रभारी हैं, जिन्होंने अपने पिता को बाढ़ पीड़ित बताकर उन्हें पीएम आवास योजना से जुड़वाकर उनके बैंक अकाउंट में एक लाख रूपए के रूप में पहली किस्त भी डलवा दी।
आॅनलाइन कर डाली नाव तक की खरीदी
नगरपालिका में अफसरों के ऐसे एक नहीं बल्कि कई कारनामें इन दिनों चर्चा में बने हुए हैं। इनमें बाढ़ राहत के नाम पर 5 लाख रुपए का भुगतान कर तीन नाव एवं एक लाख रुपए की लाइफ जैकेट की जैम पोर्टल से आॅनलाइन खरीद डालीं। इसी पोर्टल से नगरपालिका ने आई लव यू श्योपुर साइन बोर्ड भी खरीदे है।
इस तरह से किया गया खेला
आई लव यू वाला साइन बोर्ड की फाइल 3 मार्च को संधारित हुई है। जबकि उपयंत्री ने इसी फाइल पर अनुमोदन एक माह पूर्व यानी फरवरी माह में ही दे डाला तथ्य इसमें यह भी है कि उक्त बोर्ड को खरीदने के लिए निविदा 16 मार्च को जारी की गई और टेंडर भी उसी दिन आ गए और उसी ही दिन 16 मार्च को निविदा समिति ने उक्त टेंडर खोलकर उसकी दरें भी मंजूर कर डालीं। इसमें भी मंजूरी समिति सदस्यों में नपा में संविदा कर्मचारी के हस्ताक्षर कराए गए हैं, जो नियमानुसार इसके लिए पात्र  नहीं  हैं। 

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