औद्योगिक कॉरिडोर से तय होगा विकास का सफर

औद्योगिक कॉरिडोर
  • मप्र में निवेश का नया रोडमैप

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मप्र को आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं। इसके लिए प्रदेश में औद्योगिक विस्तार पर सबसे अधिक जोर दिया जा रहा है। औद्योगिक विस्तार की इस कड़ी में सरकार ने निवेश का नया रोडमैप तैयार किया है। इसके तहत प्रदेश में औद्योगिक कॉरिडोर का विस्तार किया जाएगा, जिसके माध्यम से विकास का सफर आगे बढ़ेगा और मप्र आत्मनिर्भर बनेगा। आने वाले दिनों में मप्र में कई औद्योगिक कॉरिडोर बनने जा रहे हैं। जिनके किनारे बड़े-बड़े उद्योग स्थापित किए जाएंगे। इससे प्रदेश में निवेश के साथ ही रोजगार की बहार आएगी।

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम
भोपाल (डीएनएन)।
2 साल तक कोरोना की गिरफ्त में रहने के बाद आज मप्र निवेश की राह पर बढऩे की तैयारी में है। जनवरी 2023 में होने वाली ग्लोबल इंवेस्टर समिट से पहले निवेश का नया रोडमैप तैयार हो जाएगा। कई मल्टीनेशनल कंपनियां निवेश के लिए तैयार हैं। इनमें से कुछ से प्रारंभिक सहमति बन गई है तो कुछ जगह को लेकर मशक्कत में लगी हैं। आने वाले दिनों में आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस (एआई) और ड्रोन उद्योग से लेकर टैक्सटाइल-वेयरहाउसिंग जैसे परंपरागत उद्योगों तक में नए क्लस्टर आकार लेंगे। बता दें, कोरोना संक्रमण के कारण विदेशी निवेश लगभग बंद हो गया था। ऐसे में बंदिशों के कारण मध्यप्रदेश विदेशी निवेश को लेकर खास काम नहीं कर रहा था। अब स्थिति बदलने से वापस विदेशी निवेश पर फोकस किया गया है। उधर, प्रदेश में कई औद्योगिक कॉरिडोर बनाने की योजना बन रही है।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में 11 इंडस्ट्रियल कारीडोर का निर्माण हो रहा है। इसमें नागपुर इंडस्ट्रियल कारीडोर के प्रस्ताव को प्राथमिकता से बनाने की बात हुई। यह कारीडोर मध्य प्रदेश के मुरैना, ग्वालियर, गुना, भोपाल, होशंगाबाद, बैतूल से होकर निकलेगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि मप्र के कई जगह अलग-अलग क्लस्टर चिन्हित कर इसके लिए जमीन देने का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। इस परियोजना का कार्य योजना जितनी जल्दी होगी, उतनी जल्दी मध्य प्रदेश को लाभ मिलेगा। इंडस्ट्रियल कॉरिडोर मानिटरिंग अथारिटी की पहली बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के विजन का ही कमाल है कि देश में 11 इंडस्ट्रियल कारिडोर बनने वाले हैं, जो राज्यों की तकदीर व जनता की तस्वीर बदलने का कार्य करेगी। उनके विजन से दिशा मिलती है और इससे तेज गति से काम करने का प्रयास करते हैं। उनका कहना है कि दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर में जैसा प्रेजेंटेशन में दिखाया गया, मध्यप्रदेश तेज गति से काम किया। उन्होंने प्रधानमंत्री के सपने को साकार करने के लिए मध्यप्रदेश में विकास की प्रतिबद्धता जाहिर की और कहा कि विक्रम उद्योगपुरी को प्रमोट में 202 एकड़ जमीन आवंटित किया गया और इसमें 20 उद्योगपतियों ने जमीन भी ले चुके हैं तथा कई ने काम प्रारंभ कर दिए हैं। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि नवंबर में एक कंपनी प्रोडक्शन प्रारंभ कर देगी। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि 15 कंपनियों की आवेदन आ चुके हैं जिन्हें बहुत जल्दी जमीन आवंटित किया जाएगा। विक्रम उद्योगपुरी में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। उद्योगपतियों को कोई दिक्कत नहीं होगी। मध्यप्रदेश वैसे भी इन्वेस्टर्स फ्रेंडली स्टेट है। उन्होंने कहा कि कोविड काल में भी उद्योगिक विकास के लिए लगातार प्रयास किए हैं जिससे निवेश आने की गति ना रुके। उन्होंने डेलिगेशन आफ पावर को आश्वस्त किया कि, वे तत्काल इस कार्य को पूरा करेंगे। दिल्ली-नागपुर कॉरिडोर के संबंध में कहा कि मध्य प्रदेश का वह क्षेत्र है जहां से यह निकलेगा, वहा भारतमाला परियोजना अंतर्गत 330 किलोमीटर के अटल एक्सप्रेस-वे का कार्य प्रारंभ कर रहे हैं। जिसके दोनों और इंडस्ट्रियल कारिडोर विकसित करने का कार्य भी शुरू कर दिया गया है। जमीन का चिन्हित कर लिया गया है और उद्योगपतियों को जमीन देने के लिए पूरी योजना भी तैयार की जा चुकी है। शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि इसके लिए 11 हजार एकड़ जमीन चिन्हित कर लिया गया है। मध्य प्रदेश में औद्योगिक विकास के लिए प्रधानमंत्री का जो विजन है उसे पूरा करने के तड़प भी है, जिसे पूरी तत्परता के साथ समय सीमा में विभिन्न परियोजना पर काम कर पूरा करेंगे।

वाराणसी-मुंबई इंडस्ट्रियल कारिडोर का प्रस्ताव

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि दिल्ली-नागपुर इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के अलावा वाराणसी-मुंबई इंडस्ट्रियल कारिडोर का प्रस्ताव दिया, जिसमें कहा कि पूर्वी मध्यप्रदेश खनिज संसाधन की दृष्टि से संपन्न है। एल्युमीनियम व कोयला जैसे अलग-अलग खनिज प्रचुर मात्रा में है।यदि यह पश्चिम से जोड़ दिया जाए तो क्षेत्र में बेहतर रोड कनेक्टिविटी व मार्केट प्रदान करेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश में निश्चित समय सीमा में कार्य होगा।उन्होंने कदम से कदम मिलाकर तथा कंधे से कंधा मिलाकर कार्य करने के साथ प्रधानमंत्री के सपनों को पूरा करने को कहा। वहीं दिल्ली-नागपुर इंडस्ट्रियल कॉरिडोर अब सागर के बाद नरसिंहपुर-सिवनी होते हुए नागपुर नहीं जाएगा। मप्र सरकार ने केंद्र सरकार को इसका रूट बदलने का प्रस्ताव दिया है। इसमें कहा गया है कि कॉरिडोर का मेन रूट तो दिल्ली से सागर तक पहले की ही तरह रखें, लेकिन सागर के आगे यह बीना, विदिशा, भोपाल, रायसेन, सीहोर, नर्मदापुरम, बैतूल होते हुए नागपुर तक बनाया जाए। बीते दिनों हुई पीएम गति शक्ति मिशन की बैठक में मप्र सरकार ने कहा है कि इस कॉरिडोर के पहले तय किए गए मेन रूट में कान्हा, पेंच नेशनल पार्क के साथ ही दुर्गम पहाडिय़ों और नदियों के लंबे प्रवाह आ रहे हैं। यहां जमीन अधिग्रहण करना मुश्किल होगा। बड़े पैमाने पर प्राकृतिक संसाधन बर्बाद होंगे। इस क्षेत्र में कोई भी इंडस्ट्रियल एरिया विकसित नहीं किया जा सकता। जबकि नया रूट राष्ट्रीय राजमार्ग-44 और 46 से होकर गुजरता है। यहां सरकार 20 हजार हेक्टेयर जमीन चिन्हित कर चुकी है। अधिग्रहण की प्रक्रिया अलग-अलग चरणों में जारी है। बीना में 2,500 हेक्टेयर में प्रस्तावित बीपीसीएल का पेट्रोकेमिकल पार्क, भोपाल से लगे मंडीदीप और तामोट जैसे प्रमुख इंडस्ट्रियल एरिया इस कॉरिडोर में आएंगे।
केंद्र नेशनल इंडस्ट्रियल कॉरिडोर डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत देश में 11 नेशनल कॉरिडोर बना रहा है। इसमें दिल्ली-नागपुर कॉरिडोर मप्र के लिए अहम है। 1100 किमी लंबे कॉरिडोर का 70 प्रतिशत हिस्सा मप्र से गुजरेगा। नए प्रस्तावित रूट में मप्र के 23 जिलों के 32 इंडस्ट्रियल क्षेत्र आएंगे। इन 23 में से 18 जिलों से यह कॉरिडोर गुजरेगा, जबकि शेष पांच जिलों से इसकी आंशिक कनेक्टिविटी रहेगी। ये क्षेत्र उसके 150 किमी के दायरे में होंगे। सभी कॉरिडोर का काम 2025 तक पूरा होना है। इसके लिए एशियन डेवलपमेंट बैंक ने 2000 करोड़ रु. कर्ज दिया है। इस योजना में सरकार अलग-अलग इंडस्ट्रियल क्षेत्रों को जोडऩे के लिए सडक़, रेल और जलमार्ग के जरिए एक गलियारा बनाएगी। कॉरिडोर के नए रूट के 150 किमी के दायरे में मप्र के 13 नगरीय, 32 औद्योगिक क्षेत्र आएंगे। ये दिल्ली से शुरू होकर मथुरा, ग्वालियर, झांसी, ललितपुर, बीना, गंजबासौदा, विदिशा, भोपाल, नर्मदापुरम, इटारसी, बैतूल, मुलताई, पांढुरना, कोटल से होकर नागपुर पहुंचेगा।

निवेश के साथ-साथ रोजगार

दिल्ली-मुंबई औद्योगिक कॉरिडोर (डीएमआईसी) भले ही मध्यप्रदेश से होकर नहीं गुजर रहा हो, लेकिन यह प्रदेश के औद्योगिक विकास में अहम भूमिका निभाने वाला है। 1483 किलोमीटर लंबाई वाले इस कॉरिडोर के प्रभाव क्षेत्र में मध्यप्रदेश की 372 वर्ग किलोमीटर भू-भाग वाली इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल टाउनशिप बस रही है। यह बहुत बड़ा इलाका है। इसके माध्यम से मध्यप्रदेश की आर्थिक तस्वीर में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर में मध्यप्रदेश की हिस्सेदारी, परियोजना के पहले चरण में दूसरे सबसे बड़े भू-भाग वाली हिस्सेदारी है। मध्यप्रदेश की इंडस्ट्रियल टाउनशिप में सूचना प्रौद्योगिकी, कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के उद्योग लगाए जाएंगे। ये वे क्षेत्र हैं जो पहले ही तेज विकास के साथ अपनी उपयोगिता को साबित कर चुके हैं। इसके अलावा ऑटोमोबाइल क्षेत्र को भी प्राथमिकता दी जाएगी। दिल्ली-मुंबई औद्योगिक कॉरिडोर (डीएमआईसी) एक ऐसी परियोजना है जो उत्तरप्रदेश, दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र से होकर गुजरेगी। इस परियोजना को 9000 करोड़ डालर से तैयार किया जा रहा है। खास बात यह है कि इनमें से चार राज्य ऐसे हैं जिनकी सीमा मध्यप्रदेश से सटी हुई है। इस कॉरिडोर के आसपास विकसित होने वाली औद्योगिक टाउनशिप में रोजग़ार के अपार अवसर होंगे। एक छोटे-मोटे शहर की तरह विकसित होने वाली इन औद्योगिक टाउनशिप में लोगों को उनकी योग्यता के अनुसार काम मिलना तय है।
डीएमआईसी के प्रभाव क्षेत्र में बड़ी-बड़ी इंडस्ट्रियल टॉउनिशिप भी विकसित की जाएगी। मध्यप्रदेश में यह टाउनशिप धार जिले के पीथमपुर में विकसित की जा रही है। वह निवेश तो लायेगी ही साथ ही स्थानीय लोगों को रोजग़ार के अवसर प्रदान करेगी। निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण बात यह भी है कि इस इंडस्ट्रियल टाउनशिप तक सडक़-हवाई अथवा रेल मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है। राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 3 (आगरा-मुंबई) इसे सडक़ मार्ग से जोड़ता है जबकि करीब स्थित इंदौर शहर इसे रेल और हवाई संपर्क प्रदान करता है। इसके साथ-साथ प्रदेश के नीमच-नयागांव तथा रतलाम-नागदा क्षेत्र भी डीएमआईसी के निवेश और औद्योगिक विकास क्षेत्र में आ रहे हैं। इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल टाउनशिप में माल और अन्य वस्तुओं का तेजी से ट्रांसपोर्टेशन हो सकेगा। जीएसटी लागू होने के बाद एक देश-एक कर प्रणाली लागू हो चुकी है। ऐसे में कॉरिडोर के जरिए मध्यप्रदेश में लॉजिस्टिक की भरपूर संभावनाएं हैं। इस इंडस्ट्रियल टाउनशिप में उद्योग अपने केंद्र बनाकर ट्रांसपोर्टेशन के खर्च को बचा सकेंगे।

मप्र में बनेंगे तीन इंडस्ट्रियल कॉरिडोर

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि प्रदेश में औद्योगिकीकरण के लिए तीन इंडस्ट्रियल कॉरिडोर बनाए जा रहे हैं, पहला इंडस्ट्रियल कॉरिडोर अटल इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के नाम से ग्वालियर के बीहड़ में बनाया जा रहा है। दूसरा जबलपुर से शुरू होकर सतना और रीवा का एक इंडस्ट्रियल कॉरिडोर की तैयारी की जा रही है और तीसरा नर्मदा एक्सप्रेस वे की नाम से नर्मदा के किनारे बनाया जाएगा इन कॉरिडोर के बन जाने के बाद बड़ी तादाद में लोगों को रोजगार मिल सकेगा। वहीं प्रदेश के वाशिंदों को एक और सौगात मिलने जा रही है। यहां से दिल्ली—नागपुर इंडस्ट्रियल कारिडोर गुजरेगा। शिवराजसिंह ने कहा कि इस परियोजना का कार्य जितनी जल्दी होगा, मध्यप्रदेश को उतना ही लाभ मिलेगा। इंडस्ट्रियल कारिडोर मानिटरिंग अथारिटी की बैठक में सीएम ने बताया कि प्रदेश में इसके लिए कई जगह अलग-अलग क्लस्टर बनाए गए हैं। इसके लिए जमीन देने का काम भी प्रारंभ कर दिया है। मुख्यमंत्री ने देश में इंडस्ट्रियल कारिडोर बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि ये प्रधानमंत्री के विजन का ही कमाल है कि जिससे सभी राज्यों जनता को लाभ मिलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर में भी मध्यप्रदेश तेज गति से काम किया। एमपी में दिल्ली नागपुर इंडस्ट्रियल कॉरिडोर और अटल एक्सप्रेस-वे जुड़ जाएंगे- दिल्ली-नागपुर कॉरिडोर के संबंध सीएम ने एक और अहम बात कही। उन्होंने बताया कि एमपी में दिल्ली नागपुर इंडस्ट्रियल कॉरिडोर और अटल एक्सप्रेस-वे जुड़ जाएंगे। जहां से इंडस्ट्रियल कॉरिडोर निकलेगा, वहां अटल एक्सप्रेस-वे का कार्य भी प्रारंभ कर रहे हैं। भारतमाला परियोजना के तहत बन रहे इस 330 किलोमीटर के एक्सप्रेस वे के दोनों और इंडस्ट्रियल कारिडोर विकसित किया जा रहा है। इसके लिए 11 हजार एकड़ जमीन चिन्हित कर ली गई है और इंडस्ट्रियलिस्ट को जमीन देने की योजना भी तैयार है। गौरतलब है कि दिल्ली-नागपुर इंडस्ट्रियल कॉरिडोर प्रदेश के उत्तर से दक्षिणी हिस्से तक निकलेगा। यह कारिडोर दिल्ली से एमपी के मुरैना, ग्वालियर, गुना, भोपाल, नर्मदापुरम और बैतूल जिलों से होकर निकलेगा।

इंटरनेशनल एयरपोर्ट की कवायद तेज

इंदौर-भोपाल के बीच में प्रस्तावित मेगा इंडस्ट्रीयल हब में बनने वाले देश के सबसे बड़े एयरपोर्ट के लिए कवायद तेज हो गई है। हाल ही में गौतम अडाणी के साथ ही कई अन्य औद्योगिक घरानों ने संभावित क्षेत्र का दौरा कर संभावनाओं को तलाशा। जानकारी के अनुसार इंटरनेशनल एयरपोर्ट को लेकर कई औद्योगिक घराने निवेश को उत्सुक हैं। प्रदेश सरकार भी लगातार इस दिशा में काम कर रही है। देश के प्रमुख एयरपोर्ट में जगह की कमी के बीच इस एयरपोर्ट के मध्यभारत के गेटवे बनने की भी पर्याप्त संभावना है। यहां से यात्री उड़ान चलने के साथ-साथ कार्गो उड़ान भी चल सकेगी। वहीं कई विदेशी एयरलाइंस जिनके बड़े विमान प्रदेश के एयरपोर्ट के छोटे रनवे पर नहीं उतर पाते हैं। वे भी प्रदेश में अपने संचालन कर सकेंगी। उद्योग विभाग इस योजना को लेकर लगातार प्रयास कर रहा है। गत दिनों इसे लेकर एक समीक्षा बैठक भी हुई है, जिसमें यहां पर 25 से 30 हजार एकड़ इलाके में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट भी बनेगा। जानकारों का कहना है कि अगर योजना पर सही तरीके से काम हो जाता है और एयरपोर्ट बन जाता है तो उससे पूरे प्रदेश को फायदा हो जाएगा। अभी इंदौर प्रदेश का सबसे व्यस्त एयरपोर्ट है। यहां से प्रदेश की एकमात्र सीधी अंतरराष्ट्रीय उड़ान भी संचालित होती है। लेकिन यहां का रनवे भी विदेशी एयरलाइंस के बड़े विमानों के लिए छोटा है। वहीं कोरोनाकाल के पहले ही यहां का टर्मिनल यात्रियों के लिए छोटा पडऩे लगा था। यहां पर भी नए टर्मिनल की मांग की जा रही है। नया एयरपोर्ट बनने के बाद इंदौर का बोझ काफी हद तक कम हो जाएगा। वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि इसे निर्माण में सरकार को कनेक्टिविटी पर विशेष ध्यान रखना होगा। इंदौर से भोपाल के बीच की करीब 200 किलोमीटर की दूरी है। यहां तक पहुंच मार्ग, कनेक्टिविटी, कार्गो सुविधा आदि का ध्यान रखा जाए तो प्रदेश से निर्यात भी बढ़ जाएगा। इसके अलावा जैसे दुबई को पश्चिमी विश्व का गेटवे कहा जाता है। उसी तरह से यह दुनिया के लिए भारत का गेटवे बन सकता है। यहां आकर लोग आगे जा सकेंगे। मध्यभारत में होने से पूरे भारत का सफर करना आसान हो सकेगा।
सीआईआई के चेयरमेन सुधांशु जोहरी बताते है कि सरकार का यह कदम काफी सराहनीय है। सरकार यहां पर इंडस्ट्रीयल हब तो बना ही रही है। साथ ही एयरपोर्ट भी बना रही है, जिससे इंदौर और आसपास के औद्योगिक इलाके को तो फायदा मिलेगा ही लेकिन इसके साथ भोपाल और उसके पास के औद्योगिक क्षेत्र को भी लाभ मिल जाएगा। यहां बनने वाला सामान सीधे देश-विदेश में विमान से भेजा जा सकेगा, जिससे एक्सपोर्ट भी बढ़ेगा। यहां के माल को सडक़ या रेल से भेजने के बजाय जल्द भेजा जा सकेगा। प्रदेश से कई चीजों को विदेश भेजा जाता है। ट्रेवल एजेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रदेश अध्यक्ष हेमेंद्र सिंह जादौन ने बताया कि अगर सबसे बड़ा एयरपोर्ट बनता है तो यह प्रदेश के लिए काफी बेहतर बात होगी। अगले कुछ सालों में इंदौर एयरपोर्ट का निजीकरण किया जाना है। इसके बाद भोपाल का नंबर आएगा। वहीं देश के बड़े एयरपोर्ट पर जगह की कमी है। मध्यभारत की ही बात करें तो अहमदाबाद, मुंंबई जैसे एयरपोर्ट जगह की कमी से जूझ रहे हैं। इंदौर एयरपोर्ट पर विमानों की पार्किंग के लिए सीमित जगह है। सबसे बड़ा एयरपोर्ट होने पर एयरलाइंस यहां पर विमान पार्क करेगी। जिससे उड़ानें ज्यादा चलेंगी। जिससे यात्रियों को कम कीमत में टिकट भी उपलब्ध हो सकेंगे। एविएशन एक्सपर्ट कहते हैं कि सबसे बड़ा एयरपोर्ट बनने के साथ ही इस पूरे क्षेत्र में रोजगार में वृद्धि होगी। ज्यादा जगह होने पर एयरलांइस इसे अपना बेस बना सकती है। जिससे लोगों को रोजगार मिलेंगे। इसके अलावा एविएशन इंडस्ट्री में भी नए रोजगार पैदा होंगे। देश का सबसे बड़ा एयरपोर्ट मप्र में बनाए जाने की संभावना तेज हो गई है। इंदौर से 35 से 40 किमी के दायरे में यह एयरपोर्ट बनाया जाएगा। कयास लगाए जा रहे हैं कि देवास और सोनकच्छ के बीच यह एयरपोर्ट बनाया जा सकता है, हालांकि एक संभावना यह भी है कि देवास जिले के चापड़ा क्षेत्र में भी एयरपोर्ट बनाया जा सकता है। फिलहाल कुछ तय नहीं हुआ है लेकिन यह बताया जा रहा है कि उद्योग विभाग ने इसके लिए 25 हजार एकड़ जमीन तलाश ली है। दरअसल, यात्रियों के साथ कार्गो और लॉजिस्टिक हब को बढ़ावा देने के लिए यह एयरपोर्ट बनाया जा रहा है। इसके लिए मप्र इंडस्ट्री डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ने जमीन के संबंध में राज्य सरकार को प्रस्ताव भेज दिया है। इस जमीन से भोपाल-इंदौर रोड, भोपाल-जयपुर रोड, शाजापुर-देवास रोड और नरसिंहगढ़ को आपस में जोड़ा जाएगा।

पीथमपुर और देवास जैसे क्षेत्रों को मिलेगा लाभ

मप्र के औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग के प्रमुख सचिव संजय शुक्ला गत दिनों सीआईआई मप्र के वार्षिक कार्यक्रम में पहुंचे। औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव भी इसमें शामिल हुए। शुक्ला ने कहा कि इंदौर के 35 से 40 किमी के दायरे में अंतरराष्ट्रीय विमानतल बनने से पीथमपुर और देवास जैसे क्षेत्रों को लाभ मिलेगा। इंदौर और इसके आसपास मैन्युफैक्चरिंग उद्योग बड़ी संख्या में है। विमानतल तैयार होने से लॉजिस्टिक क्षेत्र बेहतर होगा। प्रदेश भारत के मानचित्र में बीच में आने से कई लाभ हैं। हम 12 घंटे के सफर में आसपास के किसी भी शहर में पहुंच सकते हैं। लॉजिस्टिक पार्क बनने से भी उद्योगों को गति मिलेगी। नई उद्योग नीति के संदर्भ में महिंद्रा और टाटा जैसी कई कंपनियों की राय भी ली गई है। इसमें कई तरह के प्रावधान रखे गए हैं, जिससे प्रदेश के उद्योगों को पहले से ज्यादा सुविधाएं मिल सकेंगी। आत्मनिर्भर भारत और आत्मनिर्भर प्रदेश के लिए सरकार कई काम कर रही है। मेडिकल पार्क के साथ ही कई तरह के क्लस्टर बनाए जा रहे हैं, जहां सभी क्षेत्रों के उद्योगों को जगह मिलेगी। ईज आफ डूइंग बिजनेस के लिए भी इंदौर सहित पूरे प्रदेश में काम किया जा रहा है। फार्मा और कई तरह के पार्क तैयार होंगे। आने वाले कुछ समय में उद्योग नीति भी आ रही है। इसमें प्रदेश के उद्योगों को आगे बढ़ाने के लिए सभी तरह की बातों को शामिल किया गया है।

औद्योगिक क्षेत्र पर फोकस

प्रदेश में औद्योगिक विकास के लिए औद्योगिक क्षेत्रों के विकास पर फोकस किया जा रहा है। सरकार नए औद्योगिक क्षेत्रों में ग्रीन एनर्जी, आर्गेनिक खाद से लेकर लॉजिस्टिक इंडस्ट्री बनाने की तैयारी कर रही है। भोपाल-राजगढ़ में 250 करोड़ से ग्रीन एनर्जी पार्क बनना है। इसमें 15 टन प्रतिदिन क्षमता का बायोगैस प्लांट, ऑर्गेनिक खाद, 20 मीट्रिक टन प्रतिदिन क्षमता का कार्बन-डाई-ऑक्साइड कैप्चर प्लांट और 10 मेगावाट क्षमता का केप्टिव सोलर पॉवर प्लांट बनेंगे। हाइड्रोजन व अमोनिया गैस भी बनेगी। भोपाल-इंदौर-जबलपुर-ग्वालियर-कटनी सहित 7 प्रमुख क्षेत्रों में एयरपोर्ट व सडक़ कनेक्टिविटी वाले बड़े लॉजिस्टिक पार्क लाने की तैयारी। भोपाल-इंदौर कॉरिडोर में आष्टा के समीप बड़े क्षेत्र पर एआइ व आईटी हब के लिए प्लान है। पांच नए औद्योगिक क्षेत्रों को 714.56 करोड़ से बनना है। बैरसिया-भोपाल में 25.88 करोड़, आष्टा-सीहोर में 99.43 करोड़, धार में 79.43 करोड़, रतलाम में 462 करोड़ और नरसिंहपुर में 47.82 करोड़ की परियोजना है। इनमें 32 हजार करोड़ का निवेश संभावित है। 38 हजार रोजगार मिलेंगे। देवास में इंडस्ट्रियल एरिया बनेगा। यहां इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल पार्क, कमर्शियल, रेसीडेंशियल, लॉजिस्टिक इंडस्ट्री के प्रोजेक्ट की प्लानिंग है। देवास, सोनकच्छ, आष्टा व सीहोर तक इंडस्ट्रियल क्लस्टर बनाने की योजना है। पुणे के पिनेकेल उद्योग समूह ने 2000 करोड़ से ज्यादा के निवेश प्रस्ताव दे रखे हैं। यह समूह पीथमपुर में 2000 करोड़ के निवेश से इलेक्ट्रॉनिक व्हीकल प्लांट लगाना चाहता है। इससे 7 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। इसमें बस और छोटी लाइट कमर्शियल व्हीकल का उत्पादन होगा। जेएसडब्ल्यू पेंट समूह ने 1500 करोड़ के निवेश का प्रस्ताव दिया। अल्ट्राटेक सीमेंट व फोर्स मोटर्स समूह ने भी निवेश के प्रस्ताव दिए हैं। जेके टायर समूह ने मुरैना में प्लांट लगाने का प्रस्ताव दिया। 750 करोड़ से प्लांट लगेगा। हाइड्राइज समूह एथेनॉल प्लांट लगाने की तैयारी में है। यह प्लांट सिवनी में लगना है। यह कंपनी लंदन की एथेना कैपिटल्स के साथ प्रदेश में बड़ा निवेश करेगी। इसी तरह एथेनॉल प्लांट के लिए तीन और कंपनियों से प्रारंभिक बातचीत हुई है। जल्द ही प्रस्ताव आगे बढऩे की उम्मीद जताई जा रही है। चिरीपाल समूह ने रतलाम में 250 एकड में 4600 करोड़ निवेश का प्रस्ताव दिया। समूह सोलर सेल, सोलर ग्लास, पीव्ही मॉड्यूल की इकाई लगाएगा। टैक्सटाइल यूनिट भी लगेगी। इसमें 800 करोड़ निवेश का प्रस्ताव दिया है।

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