ग्वालियर-चंबल की नगर पालिकाओं में भी बागी बने मुसीबत

नगर पालिकाओं
  • लगातार जारी है मनाने के  असफल प्रयास

    भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। पार्टी से टिकट नहीं मिलने के बाद बागी हुए कार्यकर्ताओं ने सिर्फ नगर निगम ही नहीं, नगर पालिकाओं में मुसीबतें बड़ा रखी हैं। इनमें स्थानीय नेताओं से लेकर प्रभारी तक बेअसर साबित हो रहे हैं। इस मामले में सबसे खराब हालात भाजपा की ग्वालियर -चंबल अंचल की नगर पालिकाओं में बनी हुई है।  दरअसल इन बागियों ने पार्टी उम्मीदवारों के राजनीतिक दलों के समीकरण बिगाड़ कर रख दिए हैं। इसकी वजह से पार्टी से लेकर प्रत्याशियों तक को स्थानीय स्तर पर नए सिरे से रणनीति बनानी पड़ रही है। यह हालात लगभग सभी नगर पालिकाओं में बने हुए हैं। उल्लेखनीय है की प्रदेश की 99 में से 76 नगरपालिकाओं में चुनाव कराए जा रहे हैं। इनमें नगरपालिका अध्यक्ष का चुनाव भी पार्षदों द्वारा ही किया जाना है। यही वजह है कि आधा चुनाव प्रचार का समय निकल जाने के बाद भी टिकट वितरण से लेकर बागियों तक को को मनाने का काम अब भी जारी है। दरअसल कांग्रेस से अधिक भाजपा में बागी चुनावी मैदान में है। इसकी प्रमुख वजह है विधायकों व पार्टी के बड़े नेताओं क्षरा अपनी पसंद ना पसंद के आधार पर प्रत्याशियों को मैदान में उतारना। शिवपुरी जिले में भाजपा के पार्षद पद के टिकट वितरण में मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया की पंसद के उम्मीदवार ही मैदान में अधिक हैं। खास बात यह है की उनकी पसंद के चलते महेंद्र सिंह सिसौदिया और नरोत्तम मिश्रा के समर्थकों के नाम ही सूची से गायब हो गए। इसके लिए उनकी सूची ही खारिज करवा दी गई। यहां पर यशोधरा समर्थक भानु दुबे की पत्नी नीतू अध्यक्ष की प्रबल दावेदार हैं। उधर पार्टी के ही दूसरे गुट नरेंद्र बिरथरे के समर्थक रामजी व्यास की पत्नी सरोज भी अध्यक्ष पद की दावेदार मानी जा रही हैं। इस शहर के 10 वार्डों में भाजपा के बागी मैदान में डटे हुए हैं। इन बागियों की वजह से कांग्रेस की उम्मीदें बढ़ गई हैं। उधर, रायसेन में भी यही हालात हैं। यहां पर मंत्री प्रभुराम की पसंद से सारे टिकट तय किए गए हैं। माना जा रहा है की यहां पर वार्ड 9 से पार्टी प्रत्याशी नीति पंड्या अध्यक्ष पद की दावेदार हैं। इससे नाराज उनके ही समर्थक अनिल चौरसिया ने अपनी बहू श्रद्धा को यहां से निर्दलीय उतार दिया है। इसी वार्ड से दावेदार योगिता परमार भी प्रत्याशी नहीं बनाए जाने की वजह से नाराज चल रही हैं। इसी तरह से ग्वालियर जिले की डबरा सीट के कुल तीस पार्षद पदों के लिए टिकट बंटवारे में गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा और श्रीमंत समर्थक पूर्व मंत्री इमरती देवी ने अपने -अपने समर्थकों के लिए ूरी ताकत लगाई , लेकिन इसमें बाजी मिश्रा मार ले गए। उनके 22 समर्थकों को प्रत्याशी बनाया गया है, जबकि इमरती के आठ समर्थक ही टिकट पा सके हैं। इसके बाद भी 4 वार्डों में भाजपा के बागी चुनावी मैदान में बने हुए हैं। इसी तरह से गुना में नाराज भाजपा के दो बड़े नेताओं की नाराजगी इससे समझी जा सकती है की उनकी पत्नियों को भाजपा ने प्रत्यायाी घोषित कर दिया था , इसके बाद भी राधेश्याम पारीक और राजेंद्र सलूजा की पत्नियों ने नाम वापिस ले लिए। यही नहीं अमित सोनी ने तो भाजपा छोड़कर कांग्रेस ज्वाइन कर ली है। खास बात यह है कि यहां पर भाजपा के 41 बागी चुनावी मैदान में बने हुए हैं। 

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