सूबे में हर माह औसतन दस हमलों का शिकार होती है पुलिस

पुलिस
  • रेत के अलावा वन व शराब माफिया भी नहीं रहता है हमलों में पीछे

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। सरकार द्वारा पुलिस व प्रशासनिक अमले को तमाम तरह के माफियाओं के खत्मा के लिए खुली छूट दिए जाने के बाद भी पुलिस पर हमले कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं। दरअसल इसकी वजह है तमाम तरह के माफियाओं को राजनैतिक और प्रशासनिक अफसरों का संरक्षण मिला होना। हाल ही में गुना जिले में शिकारियों द्वारा किए गए हमले में तीन पुलिस कर्मचारियों की हत्या कर दी गई है। अगर सरकारी आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है की बीते पांच माह में प्रदेश में पुलिस पर हमले की 51 वारदातें हुई हैं। यानि की औसतन हर माह में पुलिस पर अलग-अलग जगहों पर दस वारदातों को अंजाम दिया जाता है।
दरअसल पुलिस पर हमले की हर साल जो भी घटनाएं होती हैं उनमें पुलिस व प्रशासन के साथ ही सरकार भी बेहद सख्त रुख नहीं दिखाती है, फलस्वरुप तमाम तरह के माफिया के हौंसले बुंलद बने रहते हैं।  पुलिस पर गोली चलाने से लेकर चाकू मारने, मारपीट, सरकारी काम में बाधा डालने की घटनाएं सबसे ज्यादा ग्वालियर-चंबल अंचल में हुई हैं। हैरत की बात यह है कि पुलिस पर सबसे ज्यादा हमले रेत माफिया, अवैध शराब और अवैध शिकार के मामलों में ही हुए हैं। जबकि रेत माफिया के खिलाफ खनन विभाग, अवैध शराब के खिलाफ आबकारी विभाग और वन्य प्राणियों के अवैध शिकार के मामले में वन विभाग की सीधी जिम्मेदारी बनती है। इसके बाद भी अधिकांश मामलों में जिम्मेदार विभाग कार्रवाई की खानापूर्ति में लगे रहते हैं।  इन 51 वारदातों में से 32 घटनाएं तो अवैध खनन, अवैध शराब और शिकार रोकने पर हुई हैं, जबकि 19 घटनाएं फरार आरोपी को पकड़ने या कानून व्यवस्था बनाने में हुई हैं। बीते पांच माह में ग्वालियर में 6 और चंबल संभाग में 7 घटनाएं हुई हैं। भोपाल, इंदौर, जबलपुर, टीकमगढ़, सतना, राजगढ़ और धार में भी इस साल पुलिस पर हमले हुए हैं। दग्विजय सिंह ने गुना की वारदात के बाद किए ट्वीट में एक रिपोर्ट शेयर करते हुए लिखा, मप्र पुलिस में बढ़ता हुआ हस्तक्षेप, अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण, ईमानदार पुलिसकर्मियों को भाजपा नेताओं द्वारा अपमानित करना इसके प्रमुख कारण हैं। इसके बाद दूसरे ट्वीट में दिग्विजय सिंह ने लिखा, देशी कट्टा 1000 से 5000 तक में आसानी से उपलब्ध है। खुले आम मप्र के कुछ इलाकों में देशी कट्टे बन रहे हैं। उत्तर प्रदेश से भी आ रहे हैं। पुलिस के पास पूरी जानकारी है लेकिन राजनीतिक दबाव के कारण कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं।
गुना के बाद धार में भी हुआ हमला
धार जिले में शनिवार सुबह 6 बजे ग्राम घोड़ाबाव की गुमशुदा महिला की खोज करने 3 पुलिसकर्मी थाना क्षेत्र के ही ग्राम खरबारी गए थे। जहां पर आदतन अपराधी सुग्गा के साथ उसके परिवारजन ने पुलिसकर्मियों पर पत्थर बरसाकर घायल कर दिया व गाड़ी भी फोड़ दी। गुलाब उर्फ गुल्ला निवासी घोड़ाबाव ने तिरला थाने पर कुछ दिन पहले उसकी बेटी संगीता की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाकर खरबारी के सुग्गा पुत्र सरदार के पास होने की शंका जाहिर की थी। जिस पर शनिवार सुबह तिरला थाने से मनीष भगोरे एएसआई, महेंद्र राजपूत आरक्षक, प्रकाश भाभर हेड कांस्टेबल आरोपी के ग्राम खरबारी पहुंचे व महिला संगीता की वहीं होने की जांच की जैसे ही पुलिसकर्मियों को महिला मिली वैसे ही महिला को भगाकर ले जाने वाले सुग्गा पिता सरदार एवं उसके परिवारजनों ने पुकिसकर्मियों पर पत्थरों से हमला कर दिया था।

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