
- आत्मनिर्भर मप्र के लिए मिला अर्थव्यवस्था का बूस्टर डोज
भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। कोरोना वायरस संक्रमण के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जिस तरह नीति बनाकर अच्छी नीयत के साथ आपदा को अवसर बनाकर काम किया उसके परिणाम अब सुखदायक आने लगे हैं। वैट, जीएसटी, शराब से रिकॉर्ड राजस्व मिला है। जनता से मिले टैक्स से मप्र मालामाल हो रहा है, वहीं देशी-विदेशी निवेशक मप्र में निवेश के लिए सक्रिय हो गए हैं। आपदा का लगभग अंत हो गया है। इसके साथ ही मप्र आत्मनिर्भर मप्र की ओर तेजी से अग्रसर होने लगा है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आव्हान पर प्रदेश की जनता ने सरकार के साथ मिलकर मप्र को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम करना शुरू कर दिया है। इसी का परिणाम है कि वित्तीय वर्ष 2021-22 की समाप्ति के साथ ही प्रदेश सरकार का जो बहीखाता सामने आया है, उसके मुताबिक शिवराज सरकार इस वित्तीय वर्ष में मालामाल हुई है। सरकार को पेट्रोल-डीजल और शराब पर लगने वाले वैट से सबसे ज्यादा राजस्व मिला है। वैट से सरकार की कमाई बीते साल के मुकाबले में 2258 करोड़ रुपये ज्यादा हुई है। इसी तरह जीएसटी से होने वाली आय में भी बढ़ोतरी हुई है। सरकार को जीएसटी से 3910 करोड़ रुपये ज्यादा मिले हैं।
10 हजार करोड़ का रिकॉर्ड राजस्व: प्रदेश की आय में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में ही राज्य सरकार को जीएसटी, वैट, शराब व पंजीयन से करीब 10 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का रेवन्यू मिला है। बढ़ोतरी में यह अब तक का रिकार्ड है। इस औसत में कभी भी इतनी बढ़ोतरी नहीं हुई। केंद्र सरकार से मिलने वाले क्षतिपूर्ति में ही 5 हजार करोड़ रुपए का इजाफा हो गया। राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2021-22 में स्टेट गुड्स एंड सर्विस टैक्स (एसजीएसटी) में 21,600 करोड़ रुपए का लक्ष्य रखा था। किंतु 22,206 करोड़ रुपए से भी अधिक का रेवन्यू मिला। जबकि वर्ष 2020-21 में महज 18,295 करोड़ रुपए ही मिले थे। पिछले वित्तीय वर्ष की अपेक्षा इसमें करीब 21.38 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इतना ही नहीं सरकार को नॉन जीएसटी यानी वैल्य एडेड टैक्स (वैट) व अन्य तरह के टैक्स में वर्ष 2019-20 में रिकार्ड 34 फीसदी से अधिक की कमाई हुई है। जबकि वर्ष 2021-22 में यह 16,727 करोड़ हुआ। इससे पहले यह क्रमश: 12,461 व 14,268 करोड़ था। अब यह बढ़कर 16,727 करोड़ रुपए पर पहुंच गया। वर्ष 2019-20 में यह 12,460 करोड़ रुपए ही था। रिकार्ड 34 फीसदी से अधिक की कमाई पेट्रोल व डीजल पर वसूले जाने वाले वैट से हुई है।
आबकारी और वाणिज्यिक कर मिला बूस्टर डोज
प्रदेश की कमाई में आबकारी और वाणिज्यिक कर विभाग से बूस्टर डोज मिला है। सरकार को आबकारी से भी अच्छी खासी आय हुई है। हालांकि तीन वर्ष पूर्व की अपेक्षा आज भी काफी कम आय है। वर्ष 2016-17 में आय 13,500 करोड़ रुपए तक हुई थी। इसके बाद संभावना जताई जाने लगी थी कि 15 हजार करोड़ रुपए से उपर तक आय का आंकड़ा पहुंचेगा, किंतु कोरोना संक्रमण के दौरान यह आंकड़ा कम होकर पहले 9,094 करोड़ हुआ। इसके बाद तो लगातार इसमें गिरावट होती गई। वर्ष 2020-21 में यह आंकड़ा 8,318 करोड़ तक पहुंचा। हालांकि यह अब बढ़कर 10,380 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। हालांकि 5 साल पहले के मुकाबले यह आज भी काफी कम है। वाणिज्यिक कर विभाग को पंजीयन में अच्छा खासा रेवन्यू मिला है। वर्ष 2020-21 में यह आंकड़ा 6800 करोड़ था, जो बढ़कर 8163 करोड़ पर पहुंच गया। इसमें पिछले वर्ष के मुकाबले करीब 20 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। जबकि वर्ष 2019-20 की अपेक्षा यह बढ़ोतरी 45 फीसदी तक हुई है। मप्र में पहली बार वाणिज्यिक कर विभाग को लक्ष्य के मुकाबले कुल 120 फीसदी की बढ़ोतरी मिली है। इसमें भी सबसे अधिक बढ़ोतरी नॉन जीएसटी में पेट्रोल व डीजल से ही हुआ है।
सरकार ने लोगों को दी बड़ी राहत
हाल ही में मध्य प्रदेश सरकार ने लोगों को बड़ी राहत दी है। लोगों को अब महज 10 रुपये में नक्से और खसरे वॉट्सएप पर मिल जाएंगे। सरकार की कैबिनेट बैठक में तय किया गया कि इंटीरियर इलाकों में 20 सीटर बसें चलाई जाएं। सरकार ने किसानों को भी बड़ी राहत दी है। किसानों को खरीफ फसल का लोन चुकाने के लिए कई दिनों की मोहलत दी गई है। अब किसान इस लोन को 15 अप्रैल तक चुका सकते हैं। पहले यह तारीख 31 मार्च को ही समाप्त हो रही थी। इस बढ़ी हुई अवधि के दौरान ब्याज की राशि करीब 60 करोड़ रुपये होगी। ये राशि भी राज्य सरकार भरेगी। आदिवासी बहुल जिलों में पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च किया जाएगा। सरकार ने पिछड़े इलाकों में लोक परिवहन सेवा शुरू करने के लिए ग्रामीण परिवहन नीति को मंजूर कर लिया।कोरोना के बाद टैक्स से मालामाल हुई शिवराज सरकार